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October 15, 2025

महाशिवरात्रि: आध्यात्मिक जागरण की पावन रात्रि

महाशिवरात्रि: आध्यात्मिक जागरण की पावन रात्रि

by Ashish Singh / Wednesday, 26 February 2025 / Published in Uncategorized

(महाशिवरात्रि का महत्व, पूजन विधि और योग साधकों के लिए विशेष निर्देश)

महाशिवरात्रि का महत्व (शास्त्रों से प्रमाण सहित)

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।

                         

1. शास्त्रों में महाशिवरात्रि का उल्लेख:

शिव पुराण: इसमें कहा गया है कि महाशिवरात्रि की रात्रि को भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं, जो सृष्टि, पालन और संहार का प्रतीक है।

2 शिव विवाह कथा (शिव पुराण से)

एक समय माता पार्वती ने कठोर तपस्या की ताकि वे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर सकें। उनके तप से प्रसन्न होकर शिव जी ने उनसे विवाह किया। इस कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि शिव और पार्वती के पावन विवाह की तिथि है।

स्कन्द पुराण: इसमें बताया गया है कि इस दिन शिवलिंग की उपासना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

लिंग पुराण: इसमें कहा गया है कि इस दिन रात्रि-जागरण और शिव पूजा करने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो सकता है।

2. शिवलिंग की पूजा का महत्व

शिवलिंग अनादी और अनंत ब्रह्म का प्रतीक है। यह साकार और निराकार दोनों रूपों में शिव की उपासना का केंद्रबिंदु है।

 

3. महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।

इस दिन भगवान शिव ने कालकूट विष का पान करके सृष्टि को बचाया था।

यह रात्रि जागरण और ध्यान के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिससे व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है।

महाशिवरात्रि पर पूजन विधि 

1. प्रातःकाल स्नान और संकल्प

प्रातः जल्दी उठकर गंगा जल मिश्रित जल से स्नान करें।

साफ वस्त्र धारण करके शिव पूजा का संकल्प लें।

2. शिवलिंग का अभिषेक (Shivling Abhishek)

जल और दूध: शिवलिंग पर गंगाजल और कच्चे दूध से अभिषेक करें।

दही, घी, शहद और पंचामृत: ये सभी समग्र ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रतीक हैं।

बेलपत्र और धतूरा: यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं।

चावल और भस्म: शिव को अर्पित करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।

3. मंत्र जाप और ध्यान

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

“महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करने से सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं।

रात्रि में ध्यान करें और शिव तत्व को आत्मसात करें।

4. रात्रि जागरण और कथा श्रवण

शिव पुराण की कथा का श्रवण करें।

ध्यान, भजन और कीर्तन के माध्यम से शिव आराधना करें।

योग साधकों के लिए महाशिवरात्रि पर विशेष साधना

1. ध्यान (Meditation)

महाशिवरात्रि को ध्यान के लिए सबसे उत्तम रात्रि माना गया है।

अजपा जप: “ॐ नमः शिवाय” का मानसिक जप करें।

अंतर मौन: आंतरिक मौन साधना करें और आत्मा से जुड़ने का प्रयास करें।

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Tagged under: KundaliniAwakening, mahadev, mahakumbh2025, mahashivratri, yoga

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